ये लोहानी की सबसे पुरानी धर्मशाला है। यह धर्मशाला श्री रामप्रसाद सुरेका ने अपनी धर्मपत्नी की स्मृति में 1885 में बनवायी। रामप्रसाद जी के साथ उनके भाईयों श्री बिपनदयाल श्री हरदयाल जी का भी आर्थिक योगदान था। मज़े की बात है कि कुछ समय पश्चात यहाँ एक अतिथि ठहरे। बातचीत के दौरान उन्हे पता चला कि वह रामप्रसाद जी उनके जान पहचान के थे तो उन्होंने भी बहुत सी आर्थिक सहायता की जिससे धर्मशाला की चारदीवारी तैयार हुई। अभी हाल ही में 2018 में धर्मशाला की मरम्मत हुई है।
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